होली का त्यौहार हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा मायने रखता है| इस त्यौहार में सभी हिंदू धर्म के लोग अपने आपसी गिले-शिकवे मिटाकर एक दूसरे से गले मिलते हैं, रंग और गुलाल लगाते हैं, और इस त्यौहार को अच्छी तरह से मनाया जाता है| होली का त्यौहार हर साल फागुन महीने की पूर्णिमा के दिन आता है| होली का त्यौहार आने से पहले ही काफी सारी तैयारियां शुरू हो जाती हैं| जिसमें बच्चे अपने लिए पिचकारी खिलौने खरीदने लगते हैं| बाजार तरह-तरह के रंग और गुलाल से भर जाते हैं| और बाजार में तरह-तरह की खाने वाली चटपटी चीजों की मांग भी बढ़ जाती है| वैसे तो इस त्यौहार को मनाने के लिए पुराणों में कई सारी कथाएं हैं| जो कि यहां मैं आपको बताने वाला हूं| इस पोस्ट में हम जानेंगे होली का त्यौहार कब शुरू हुआ था? क्यों मनाया जाता है? और क्या है होली का इतिहास?
होली का त्यौहार की शुरुआत
होली का त्यौहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन ही होता है| और यह Festival 2 से 3 दिनों तक मनाया जाता है| जिसमें पहले दिन छोटी होली, दूसरे दिन बड़ी होली, तीसरे दिन Dhulandi मनाया जाता है| हालांकि होली का त्यौहार हर साल फरवरी और मार्च महीने में आता है| इस साल 2021 में होली का पर्व 28 March और 29 मार्च को मनाया जाएगा| 28 मार्च Sunday को होलिका दहन होगा और 29 मार्च Monday को रंग वाली होली खेली जाएगी|
हालांकि ये संपूर्ण भारत में अलग-अलग मान्यताएं और पौराणिक कथाएं हैं| होली का त्यौहार मनाने के संबंध में कुछ लोग इस त्यौहार को फसल उगाने की खुशी में भी मनाते हैं| इसीलिए इसको फसलों का त्योहार भी कहा जाता है| होली से जुड़ी हुई काफी सारी धार्मिक कथाएं हैं| जैसे कि भक्त प्रहलाद की कहानी, राधा कृष्ण की कहानी और भी बहुत सारी छोटी-छोटी कहानियां है|
भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप से जुड़ी हुई कहानी
प्राचीन समय में भगवान विष्णु के एक बहुत ही बड़े भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ था| उनके पिता का नाम हिरनाकश्यप और बुआ का नाम होलिका था| हिरनाकश्यप काफी ज्यादा अहंकारी और बुरे स्वभाव वाला राजा था| जिससे प्रजा काफी परेशान थी| उसके राज्य में किसी भी भगवान की पूजा नहीं होती| जनता केवल हिरनाकश्यप की ही पूजा करती थी| एक तरह से देखा जाए तो हिरनाकश्यप ने अपने आप को भगवान घोषित कर रखा था| हिरनाकश्यप को काफी सारा वरदान भी मिला हुआ था| जिससे वह बहुत ही बलशाली था|
हिरनाकश्यप को एक सबसे बड़ा वरदान यह मिला था कि, ना तो उसकी मृत्यु किसी इंसान के द्वारा होगी| ना ही वह घर में मरेगा, ना ही घर के बाहर मरेगा| ना दिन में मरेगा, ना आकाश में मरेगा, ना धरती में मरेगा, ना रात में मरेगा| अस्त्र-शस्त्र उसे नहीं मार सकते| जानवर भी उसे नहीं मार सकते|
इतना बड़ा उसे वरदान मिला हुआ था| जिसकी वजह से वह काफी बलशाली था| हालांकि काफी लोग उसके राज्य में चोरी छुपे भगवान विष्णु की पूजा भी करते थे| जब प्रहलाद का जन्म हुआ तो, वह भी भगवान विष्णु की पूजा करने लगे और भगवान विष्णु के बारे में बातें करने लगे| इस तरह से हिरनाकश्यप अपने पुत्र से नाराज हो गया| हिरनाकश्यप ने अपनी बहन होलिका को इस बात के लिए मनाया की, प्रहलाद को लेकर जलती हुई चिता में बैठ जाओ|
होलिका को यह वरदान मिला था कि, वह जलती हुई चिता में जल नहीं सकती| क्योंकि उसके पास एक ऐसी शक्ति थी| इस तरह से हिरनाकश्यप की बहन होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर जलती हुई आग में बैठ गई| पर भगवान की अद्भुत लीला होलिका जल गई और भगवान विष्णु का भक्त प्रहलाद बच गया| तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के स्वरूप में होली का अद्भुत त्यौहार मनाना शुरू हुआ| और जिस तरह से होलीका आग में बैठी थी| उसी तरह से होलिका दहन किया जाने लगा| यह परंपरा अभी तक इंडिया में मनाई जाती है|
राधा और श्रीकृष्ण के पवित्र प्रेम की कहानी
इसकी एक दूसरी कहानी भी है| जिसमें राधा और श्रीकृष्ण के पवित्र प्रेम की कहानी बताई जाती है| बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण रंगों से होली मनाते थे| और गोकुल में होली का त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है| मथुरा और वृंदावन में सभी लोग राधा कृष्ण की प्रेम कहानी के रूप में होली मनाते हैं| यहां पर रंगों से होली मनाई जाती है| साथ ही साथ बरसाने की फूलों वाली होली काफी ज्यादा प्रसिद्ध है| इसके अलावा श्री कृष्ण जी के गांव नंदगांव की लठमार होली काफी ज्यादा प्रसिद्ध है|
होली का इतिहास
होली को बसंत ऋतु का त्यौहार भी कहा जाता है| क्योंकि इस ऋतु में गर्मियों वाली जो फसल होती है| वह पक कर तैयार हो जाती है| इसीलिए इस त्यौहार को बसंत उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है| होली के इतिहास को देखा जाए तो, इस होली पर्व को मनाने के पीछे बहुत सारी कहानियां हैं| कई इतिहासकारों ने बताया है कि होली मनाने की परंपरा मुगलों के समय से भी चली आ रही है| मुगल राजा शाहजहां होली का त्यौहार मना| इसके अलावा मुगल सम्राट जहांगीर भी होली का त्यौहार मनाता था| पौराणिक काफी सारे मंदिरों में होली के चित्र भी पाए जाते हैं| होली का त्यौहार है बहुत ही ज्यादा पुराने समय से मनाया जाता है|
होली का त्यौहार किस तरह से मनाया जाता है
होली का त्योहार हिंदुओं के लिए एक बहुत बड़ा त्यौहार है| दिवाली के बाद सबसे बड़ा त्यौहार हिंदुओं के लिए होली का त्यौहार है| इस त्यौहार को इंडिया और विदेशों में भी काफी धूमधाम से मनाया जाता है| इस त्यौहार को मनाने के लिए काफी सारे इवेंट ऑर्गेनाइज किए जाते हैं| इस दिन सभी एक दूसरे को गुलाल और रंग लगाते हैं| साथ ही मीठी गुजिया खिलाते हैं| बच्चे पानी के गुब्बारे और पिचकारी के साथ नजर आते हैं|
बसंत का मौसम शुरू होने पर यह त्यौहार आता है| होली का त्यौहार 3 दिनों तक चलता है| पहले दिन में होलिका दहन होता है, दूसरे दिन में रंगों वाली होली खेली जाती है, तीसरे दिनों और भी ज्यादा रंग वाली होली खेली जाती है| इस दिन लोग अपने घरों में पूजा-अर्चना भी करते हैं| और मिठाइयां और नमकीन भी बनाते हैं| होलिका दहन के दिन लोग गेहूं की बालियों और जौ की बालियों को होलिका दहन में Bhunte हैं| और उसकी बालियों को अपने अड़ोस पड़ोस में बांटते हैं| होली का त्योहार खुशियों का त्यौहार है|
होली का महत्व
होली का त्यौहार हिंदू धर्म में एक सबसे बड़ा त्यौहार है| सबसे ज्यादा हिंदू लोग इसको मनाते हैं| लेकिन इंडिया में काफी सारे धर्मों के लोग भी इस त्यौहार में शामिल होते हैं| वैसे यह हिंदुओं का पारंपरिक त्यौहार है| इस त्यौहार में काफी सारी धार्मिक आस्था है और पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई है| इस त्यौहार में सभी लोगों को आपस में मतभेद मिलाकर मिलने का मौका भी मिल जाता है| और हंसी उल्लास के साथ यह त्यौहार मनाया जाता है|
होली का त्यौहार इंडिया सहित विदेशों में भी मनाया जाता है, जहां पर पहले से हिंदू रहते हैं| हालांकि देखा यह गया है कि, कई सारे और धर्मों में भी होली का त्यौहार कुछ देशों में मनाया जाता है| इंडिया में मथुरा वृंदावन की होली और बरसाने की होली काफी ज्यादा प्रसिद्ध है| लोग मथुरा वृंदावन की होली देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं| काफी सारे विदेशी भी होली खेलने मथुरा वृंदावन आते हैं| बरसाने की फूलों वाली होली भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है| इसको देखने के लिए भी काफी सारे टूरिस्ट इंडिया में आते हैं|
नंदगांव की लठमार होली के काफी सारी वीडियो यूट्यूब & काफी सारी सोशल मीडिया पर मिल जाएंगे| लठमार होली भी एक तरह की बहुत ही फेमस होली है| देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरह से होली का त्यौहार मनाया जाता है| और खानपान की हिसाब से मीठी चीजें और नमकीन चीजें बनाई जाती हैं|
होली के पकवान
होली पर तरह-तरह की पकवान और नमकीन वाली चीजें बनाई जाती हैं| इस तरह की चीजों को बनाने की शुरुआत 1 महीने पहले से ही हो जाती है| इस त्यौहार के मौके पर घरों में गुजिया, गुलाब जामुन, लड्डू, मालपुआ, चिप्स पापड़, मूंग दाल, हलवा, गोलगप्पे, ठंडाई, भांग का काफी ज्यादा प्रचलन रहता है|
होली के त्यौहार में काफी ज्यादा Safty बरतनी चाहिए|
हालांकि होली के त्यौहार में काफी ज्यादा Safty बरतनी चाहिए| सबसे ज्यादा सेफ्टी बच्चों को लेकर होती है| क्योंकि बच्चे ज्यादातर Bhigte रहते हैं, और बीमार पड़ने की संभावना काफी ज्यादा हो जाती है| इस त्यौहार में बच्चों की Skin और आंखें भी खराब होने की संभावना ज्यादा रह जाती है| क्योंकि आजकल इंडियन मार्केट में केमिकल वाले कलर, केमिकल वाले गुलाल ज्यादा बिकते हैं| जो कि आपकी आंखों में नुकसान पहुंचा सकते हैं| इंडिया में नेचुरल कलर का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है|
लेकिन नेचुरल कलर काफी ज्यादा महंगे होते हैं, और मार्केट में जल्दी से अवेलेबल भी नहीं होते हैं| इसलिए लोग सस्ते में रासायनिक कलरों का इस्तेमाल करते हैं| होली खेलने के दिन आपको अपने पूरे शरीर को ढक कर रखना चाहिए| और जल्दी से जल्दी कलर को धोने की कोशिश करनी चाहिए| इस दिन कोई भी ज्वेलरी ना पहने ज्वेलरी के टूटने और गिरने का खतरा भी बढ़ जाता है| होली में कोई भी परेशानी होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए| और सही समय पर सही तरह का इलाज लेना चाहिए|
होली का बदलता स्वरूप
आजकल होली का स्वरूप बदलता जा रहा है| लोग नेचुरल कलर की जगह आर्टिफिशियल और Chemical China कलर का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं| इस त्यौहार में लोग गिले शिकवे भुला कर आपस में मिलने की जगह अपनी दुश्मनी निकालने की कोशिश भी करते हैं| समय के साथ साथ इस त्यौहार का विकृत रूप और फूहड़ रूप का प्रचलन ज्यादा हो गया है| लोग शराब पीकर गाली गलौज भी करते हैं| और आपको सड़कों पर घरों में नालियों में पड़े हुए मिल जाएंगे| इस त्यौहार को 2021 में काफी ज्यादा विकृत रूप में देखा जा सकता है| हालांकि हमें इन सब से दूर रहकर, होली के त्यौहार को सद्भावना, मित्रता, परस्पर प्रेम और भाईचारे से मनाना चाहिए| और लड़ाई झगड़े से दूर रहना चाहिए|
Vandana Chaurasiya completed his Post Graduation in Computer Application (MCA) from Subharti University. She is passionate about Technology, Education & Woman Empowerment.