दशहरा पूजा 2021 कब है? दशहरा पूजा का महत्व

दशहरा पूजा कब है? दशहरा पूजा क्यों मनाया जाता है? कब से इसकी शुरुआत हुई?

हिंदू धर्म में दशहरा पूजा का बहुत ही ज्यादा महत्व है| माना जाता है कि जब भगवान श्रीराम ने लंका में रावण को मार दिया था| उसके बाद से ही इस पवित्र दशहरा त्यौहार को मनाना शुरू किया गया था|

हमारे देश में दशहरा पर सभी जगह मेले लगते हैं| भारत में दशहरा पूजा एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है| हिंदू धर्म में दशहरा पूजा एक बहुत ही बड़ा त्यौहार है| इस दिन भगवान श्री राम ने लंका जाकर रावण को हराया था| और भगवान श्री राम ने इसी दिन रावण का वध किया था| जिसके कारण हर वर्ष यह त्यौहार भारत में मनाया जाता है| और जैसे राम ने रावण का वध किया था| इसी तरह से यहां पर रावण का पुतला बनाकर उसका वध किया जाता है|

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आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में, दशमी को रावण वध करके दशहरा मनाया जाता है| आइए जानते हैं कि, दशहरा पूजा कब है? और दशहरा पूजा के इतिहास के बारे में?

हिंदू मान्यता इतिहास

दशहरा इतिहास में वही दिन माना जाता है| इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण को मारा था| इसी दिन से हिंदू धर्म में दशहरा पूजा करने की प्रथा चली आ रही है| इतिहास में एक और कहानी है दशहरा पूजा से जुड़ी हुई| माना जाता है कि हिंदू मान्यता के अनुसार इसी दिन माता दुर्गा ने एक बड़े राक्षस महिषासुर का वध किया था| उसके लिए भी दशहरा मनाया जाता है|

दशहरा त्योहार 2021 Confirm Date

इस बार दशहरा त्योहार गुरुवार 15 अक्टूबर 2021 को मनाया जाएगा| इस बार नवरात्रि 7 अक्टूबर के शुरू हो जाएगी| दशहरा त्योहार के दिन काफी अच्छे काम होते हैं, इस दिन को काफी शुभ माना गया है| हिंदू धर्म के अनुसार यह काफी अच्छा दिन माना जाता है| क्योंकि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी|

भगवान श्री राम ने रावण को मार के दुनिया को बता दिया था| कि बुराई के ऊपर हमेशा अच्छाई की जीत ही होती है| चाहे कुछ देर ही क्यों ना हो जाए| दशहरा पूजा को हम बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाते हैं| हिंदू धर्म में दशहरा काफी बड़ा त्यौहार माना जाता है| दशहरा शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार 15 अक्टूबर 2021 को दशहरा त्योहार मनाया जाएगा| इस दिन पूजा का समय दोपहर के 2:02 से लेकर 2:48 तक शुभ रहेगा|

इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार दशहरा 14 अक्टूबर शाम 6:52 से प्रारंभ होगा और 15 अक्टूबर 2021 को शाम 6:02 मिनट पर दसवीं तिथि का समापन हो जाएगा| 14 अक्टूबर 2021 को प्रातः काल 9:36 पर श्रवण नक्षत्र स्टार्ट होगा और 15 अक्टूबर 2021 को सुबह 9:16 पर श्रवण नक्षत्र का समापन हो जाएगा|

विजयदशमी कब है

विजयदशमी त्यौहार 15 अक्टूबर 2021 को है| दशहरा का त्योहार दिवाली से दीपावली 20 दिन पहले मनाया जाता है|

दशहरा में शस्त्र पूजा की मान्यता

हिंदू मान्यता के अनुसार, श्री राम जी ने रावण का वध किया था| और एक दूसरी कहानी के अनुसार माता दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध दशहरा के दिन किया था| इसीलिए सभी लोग अपने शस्त्रों की पूजा भी इसी दिन करते हैं|

हिंदू धर्म में शस्त्र एवं अस्त्र की बहुत ज्यादा मानता है| दशहरा पूजा हमें बताता है किस तरह से अपने धर्म की रक्षा के लिए ज्ञान और शस्त्र की जरूरत की जरूरत पड़ती है| हम पीढ़ियों से अपने शस्त्रों की पूजा भी करते हुए आ रहे हैं|

दशहरा में भगवान श्री राम सीता एवं लक्ष्मण जी की पूजा

इस दिन पूरे भारत में भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की आरती और पूजा की जाती है| क्योंकि जब भगवान श्री राम लंका से रावण को मार के राम सीता और लक्ष्मण के साथ वापस अपने घर अयोध्या आते हैं| तो सारे अयोध्यावासी खुशी से उनकी जय-जयकार करते हैं| और अयोध्या में दीपावली मनाई जाती है| इस दिन भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की विशेष पूजा की जाती है|

दशहरा पूजा का इतिहास

भारतीय हिंदू मान्यता के अनुसार दशहरा पूजा का इतिहास हजारों साल पुराना है| जब धरती पर अत्याचार खूब बढ़ गया था, और रावण ने काफी ज्यादा अत्याचार उत्पन्न कर दिया था| तो भगवान श्रीराम ने धरती पर जन्म लिया| उनका जन्म अयोध्या में हुआ था| उसके बाद जब उनका बनवास हुआ, तो वह वन में चले गए और वहां पर रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था|

माता सीता का अपहरण करने के बाद रावण उन्हें लेकर लंका चला गया था| जो रावण का राज्य था, भगवान श्री राम, माता सीता की खोज में लंका गए और वहां पर उन्होंने रावण से युद्ध किया|

इतिहास में हिंदू मान्यता के अनुसार यह युद्ध 10 दिनों तक चला| इस में रावण का पूरा कुल खानदान खत्म हो गया और दसवें दिन रावण का भी अंत भगवान श्रीराम ने कर दिया| इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई के रूप में भी मनाते हैं| और इस को विजयदशमी भी कहा जाता है|

इसी दिन से शस्त्र पूजा करने की प्रथा भी चली जा रही है| इस दिन माता दुर्गा जी की भी पूजा होती है| क्योंकि उन्होंने राक्षस महिषासुर का भी इसी दिन अंत किया था| इसीलिए शस्त्रों की पूजा के साथ-साथ माता दुर्गा जी की भी पूजा की जाती है|

रामलीला मेले का आयोजन

भारत में दशहरे में हर जगह छोटे बड़े मेले का आयोजन किया जाता है| जहां पर प्रभु श्री राम की बाल लीला से लेकर रावण के खत्म होने तक का मंचन और नाटक किया जाता है| इस नाटक में स्थानीय कलाकार भाग लेते हैं| जो कि अलग-अलग भगवान की लीलाएं करते हैं|

मेले में Sabhi Log इस रामलीला को देखने आते हैं| पूरे भारत में ऐसे रामलीला काफी मात्रा में होती है| आजकल हम फिल्मों और टीवी सीरियल के माध्यम से भी रामलीला देखने हैं|

दसवीं दिन जब रावण का वध हो जाता है| उस दिन मेले का आयोजन खत्म हो जाता है, और रावण के पुतले में आग लगाई जाती है| और रावण का पुतला धू धू करके जल जाता है| इस तरह से दशहरे के मेले का समापन हो जाता है|

यह परंपरा सदियों से चली हुई आ रही है, और आज भी हर जगह दशहरे के मेले का आयोजन होता है| हिंदू धर्म में कोई भी त्यौहार खुशियों का त्योहार माना जाता है| यह त्यौहार हमें एक साथ रहने के लिए प्रेरित करते हैं, और हमेशा बताते हैं कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है| कभी-कभी बुराई पर अच्छाई की जीत होने में थोड़ा सा समय लग जाता है| लेकिन हमें हिम्मत नहीं आनी चाहिए और अपने हिंदू देवी देवताओं को याद करना चाहिए| उम्मीद है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी|