भारत में अरेस्ट वारंट कितने प्रकार के होते हैं और किसी भी गिरफ्तारी से कैसे बचें| यहां मैं आपको कितने प्रकार के अरेस्ट वारंट होते हैं इसकी जानकारी दूंगा| जब पुलिस आप को गिरफ्तार कर रही है आप के कानूनी अधिकार क्या है|
सबसे पहले आप यह जान लीजिए कि अरेस्ट वारंट एक लीगल डॉक्यूमेंट होता है| जो कि किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए जारी किया जाता है| किसी भी तरह का कोई भी Warrants लीगल डॉक्यूमेंट सिर्फ कोर्ट द्वारा जारी किया जाता है|
अरेस्ट वारंट में व्यक्ति का नाम, पता और अपराध की जानकारी होती है| इसके अलावा अगर पुलिस चाहे तो आपको बिना वारंट की धारा 41 सीआरपीसी के तहत गिरफ्तार कर सकती है| यह सिर्फ कॉग्निजेबल अपराध में ही मान्य है|
पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है| यदि उस व्यक्ति के खिलाफ कोई भी F.I.R या किसी भी केस में उसकी संलिप्तता पाई जाती है| FIR na hone पर भी पुलिस आपको गिरफ्तार करती है| इसके लिए वह कोर्ट से अरेस्ट वारंट जारी करवाती है| अगर कोई व्यक्ति किसी ट्रायल Case की पेशी में नहीं जाता है तो भी पुलिस को उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार है|
इसके अलावा अगर सरकार कोई भी ऐसी कमेटी बनाती है| वह भी आपके खिलाफ वारंट जारी कर सकती है|
Arrest Warrant कितने प्रकार के होते हैं?
अरेस्ट वारंट दो प्रकार के होते हैं जमानती और गैर जमानती वारंट| जमानत वारंट से डरने की कोई जरूरत नहीं होती, इससे कोई भी आपको Arrest नहीं कर सकता| लेकिन यदि आप के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होता है, तो आपको अरेस्ट किया जा सकता है| कई बार पुलिस वाले गैर जमानती वारंट लेकर आपके घर आते हैं, उस केस में गैर जमानती वारंट पर एक राशि लिखी होती है| अगर आप उस धनराशि को दे देते हैं| तो पुलिस आपको बिना गिरफ्तार किए ही चली जाती है| इसी को गैर जमानती वारंट कहते हैं|
मान लीजिए कि आप के खिलाफ एक गैर जमानती वारंट जारी हुआ, जिस पर लिखा हुआ है ₹10000, जब भी पुलिस आपके घर आपको पकड़ने आएगी तो आप ₹10000 पुलिस वालों को दे दीजिए| तो आप कभी भी पैसे पुलिस वालों को मत दीजिए| क्योंकि यह पैसे आपको कोर्ट में देने होते हैं| कई बार इस तरह की गैर जमानती वारंट लाने पर लोग पुलिस वालों को उतनी धनराशि या उससे कम धनराशि देकर काफी खुश हो जाते हैं| लेकिन आपको ऐसा नहीं करना चाहिए| जमानत वारंट में धनराशि सिर्फ कोर्ट में जमा कराई जाती है| जमा कराने के बाद आप गिरफ्तारी से बच सकते हैं|
सबसे पहले आपको अपना गैर जमानत वारंट को देखना चाहिए, सही से पढ़ना चाहिए| उसमें कोर्ट में पेश होने की तारीख भी लिखी होती है| इसीलिए अगली बार पुलिस वालों से गैर जमानत वारंट मामले में डरने की जरूरत नहीं है| आपको तह धनराशि कोर्ट में जमा करानी होती है, और आपसे वह लिखित में लेकर आपको छोड़ देते हैं|
पुलिस द्वारा Issue अरेस्ट वारंट से कैसे बचे
अगर आपके खिलाफ कोई FIR रजिस्टर्ड हुई है या फिर आपको किसी जुर्म में शामिल पाया गया है| तो पुलिस आपके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर देती है| ऐसे में काफी लोग घबरा जाते हैं लेकिन आपको कानून की जानकारी होना बहुत ही जरूरी है| आप धारा 438 सीआरपीसी में बेल के लिए जा सकते हैं| अगर आपको लगता है कि आप के खिलाफ झूठी f.i.r. या झूठे केस में फंसाया जा रहा है| तो आप हाई कोर्ट में रिट आर्टिकल 226 में जाकर कोर्ट से स्टे भी ले सकते हैं| इसके अलावा आप कानून के हिसाब से अपनी f.i.r. को भी कैंसिल करा सकते हैं
कोर्ट द्वारा कंप्लेंट केस में वारंट जारी करना
अगर कोर्ट आप के खिलाफ किसी कंप्लेंट केस में वारंट जारी कर देती है| जो कि पुलिस द्वारा रजिस्टर्ड नहीं किया गया है| किसी भी व्यक्ति न कोर्ट में धारा 156 (3) सीआरपीसी में आवेदन किया है और कोर्ट ने f.i.r. के आदेश दिए हैं| तो ऐसे में जब आप के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी होता है| तो आपके पास तीन रास्ते हैं पहला कि आप धारा 438 सीआरपीसी में आवेदन करके अग्रिम जमानत ले सकते हैं| दूसरा उस आदेश के विरुद्ध धारा 397/401 सीआरपीसी में सेशन कोर्ट में Revision में जा सकते हैं| इसके अलावा आप सीधे हाई कोर्ट में भी आर्टिकल 226 में उस आदेश के खिलाफ जा सकते हैं और वह f.i.r. कैंसिल करा सकते हैं|
ट्रायल कोर्ट द्वारा अरेस्ट वारंट जारी करना
ट्रायल कोर्ट में गिरफ्तारी वारंट धारा 70 (2) सीआरपीसी में आवेदन करके आप अपने वारंट को कैंसिल करा सकते हैं| दूसरा आप उस आदेश के विरुद्ध धारा 397/401 सीआरपीसी में रिवीजन में जा सकते हैं|
धारा 82/83 सीआरपीसी में वारंट या फिर PO Proceeding शुरू होने पर
अगर आप किसी भी कारण से पुलिस या फिर कोर्ट के सामने पेश नहीं होना चाहते और आप के खिलाफ धारा 82/83 सीआरपीसी की प्रोसिडिंग जारी हो जाती है| तो ऐसे में सबसे पहले आपको सरेंडर कॉम वेल, धारा 437 सीआरपीसी में आवेदन करके कोर्ट में फाइल करना होता है| जिसमें आमतौर पर बेल हो जाती है| अगर आपको लगे कि कोर्ट नहीं मानेगा और समय भी ज्यादा हो चुका है तो आप धारा 397/401 सीआरपीसी में कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सेशन कोर्ट में रिवीजन में जाएंगे|
अगर आपकी उससे भी बात नहीं बनती है, तो आप धारा 482 सीआरपीसी में Stay के लिए सीधे हाई कोर्ट जा सकते हैं| लेकिन इसमें आपको दोबारा बेल लेनी होगी| अगर इसमें कोई पहले से ही बेल् हुई है, तो वह Bail कैंसिल हो जाती है|
सभी राज्यों में मल्टीपल केस होने पर क्या करें
अगर किसी पॉलिटिकल स्टेटमेंट या किसी और कई कारण से कई राज्यों में आपके खिलाफ F.I.R. हो जाती है और सब जगह आप के Arrest वारंट जारी हो जाते हैं| तो ऐसे में आप सब जगह नहीं जा सकते| तब आप सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 32 में आवेदन करके सब जगहों पर f.i.r. पर स्टे ले लेते हैं, उन्हें रद्द करवाते हैं| और सबसे पहले वाली जगह पर, जहां आप के खिलाफ First F.I.R. हुई थी| वहीं पर ही आप के खिलाफ केस चलता है बाकी जगह की f.i.r. कैंसिल हो जाती है|
सरकारी कमेटी द्वारा वारंट जारी करना
अगर सरकार ने किसी केस की जांच पड़ताल के लिए कोई कमेटी बनाई है| तो वह सरकारी कमेटी आपके खिलाफ नोटिस या फिर से Summon Bhejati hai. Jisme aap Pesh नहीं होना चाहते तो, ऐसे केस में आप सीधे हाई कोर्ट में रिट फाइल करके इस से बच सकते हैं| या फिर उस आदेश पर स्टे ले सकते हैं| लेकिन इसमें आपको कारण देना होता है कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं| उम्मीद है यहां पर दी गई सारी जानकारी आपके किसी काम आएगी|
We are a Team of Educated Proffesional. We Provide here Latest Information and Article about Jobs, Career, Education, Tech and Government Yojna Related Article.