मिग वेल्डिंग क्या होती है? Types of MIG Welding- वेल्डिंग का उपयोग समान प्रकार की यादो असमान धातुओं को एक तीसरी धातु से उच्च तापमान और दबाव में जोड़ने के लिए किया जाता है|
वेल्डिंग का चलन खासतौर से कारखानों और तक औद्योगिक क्षेत्रों में ज्यादातर किया जाता है| वेल्डिंग के उपयोग से ही आप जहाज से लेकर कार और किसी भी यंत्र को बनाते हैं| वेल्डिंग कई प्रकार की होती है ज्यादा जानने के लिए वेल्डिंग क्या होती है? इस लेख पढ़ें| आज हम जानेंगे मिग (MIG) वेल्डिंग क्या होती है? मिग वेल्डिंग की परिभाषा क्या है? और मिग वेल्डिंग क्यों की जाती है?
पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मिग वेल्डिंग का उपयोग किया जाता है| आखिर ऐसा क्या है कि मिग वेल्डिंग का ज्यादा उपयोग किया जाता है| खासतौर से मिग वेल्डिंग में CO2 वेल्डिंग सबसे ज्यादा लोकप्रिय मानी जाती है| आइए जानते हैं इसके बारे में- वेल्डिंग का उपयोग छोटी कंपनी से लेकर बड़ी कंपनियों में लोहे की धातुओं को जोड़ने के लिए किया जाता है| क्योंकि यह आसान, बहुत तेजी से और सस्ते तरीके से हो जाती है| इसीलिए मिग वेल्डिंग का ज्यादा उपयोग किया जाता है| लेकिन अलग-अलग प्रकार के धातु को अलग-अलग कंडीशन में जोड़ने के लिए अलग-अलग वेल्डिंग Technics का उपयोग किया जाता है|
MIG वेल्डिंग का फुल फॉर्म– Metal इन आर्ट गैस वेल्डिंग (Metal Inert Gas)
मिग वेल्डिंग का सबसे ज्यादा उपयोगी Industry/manufaturing क्षेत्रों में किया जाता है| इसे हम गैस मेटल और वेल्डिंग या फिर मेटल एक्टिव गैस वेल्डिंग से भी जानते हैं| सामान्य रूप से देखा जाए तो किसी भी दो या दो से अधिक धातुओं को आपस में वेल्डिंग के माध्यम से आसानी से जोड़ दिया जाता है| दो धातुओं को अधिक से अधिक तापमान पर गर्म करके किसी तीसरी धातु का प्रयोग करके और कुछ दबाव का प्रयोग करके वेल्डिंग की जाती है|
मिग वेल्डिंग एक ऐसी वेल्डिंग प्रोसेस है, जिसमें वर्क और कंजूमर जिसे हम इलेक्ट्रोड भी कहते हैं का उपयोग किया जाता है| और इसका उपयोग अधिक तापमान पर किया जाता है| जिसमें इलेक्ट्रिकल कर दो धातु के बीच में फैल जाती है और थोड़ी देर में खड़ी होकर धातु का रूप ले लेती है| इस तरीके से वेल्डिंग की प्रोसेस पूरी हो जाती है|
इलेक्ट्रोड बायर के साथ शिल्डिंग गैस वेल्डिंग गन के द्वारा जोड़ने वाली जगह पर प्रहार किया जाता है| जिससे वेल्डिंग पर वातावरण का प्रभाव नहीं होता और वेल्डिंग डिफेक्ट्स बिल्कुल भी नहीं आता|
MIG Welding Process मिग वेल्डिंग कैसे की जाती है? CO2 वेल्डिंग प्रोसेस इन हिंदी
मिग वेल्डिंग या CO2 वेल्डिंग ऑटोमेटिक ऑटोमेटिक तरीके से की जाती है| इस प्रकार की बिल्डिंग में डायरेक्ट करंट या कांस्टेंट वोल्टेज पावर का उपयोग किया जाता है| और कभी-कभी अल्टरनेट करंट का भी उपयोग किया जाता है| इस बिल्डिंग में Weld को बाहरी वातावरण यानी कि ऑक्सीजन हाइड्रोजन से बचाने के लिए शिवलिंग गैस का उपयोग होता है जोकि वेल्डिंगGas होती है| इनमें सामान्य रूप से एक गेस्ट के तौर पर गैस का प्रयोग किया जाता है जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड इसीलिए इसे CO2 वेल्डिंग भी कहा जाता है| लेकिन कुछ समय नॉन फेरस मेटल में शिवलिंग गैस के लिए ऑर्गन गैस और हीलियम गैस का भी प्रयोग किया जाता है|
मिग वेल्डिंग का इतिहास History of MIG Welding
मिग वेल्डिंग को 1940 में सबसे पहले अल्मुनियम और दूसरी नॉन फेरस मेटल अलौह धातु के लिए प्रयोग किया गया था| उसके बाद से विभिन्न तरीके से इसे अलग-अलग प्रकार के स्टील के लिए प्रयोग किया जाने लगा| क्योंकि यह दूसरे वेल्डिंग प्रोसेस के मुकाबले बहुत ही फास्ट बेहतरीन और काफी सस्ते में वेल्डिंग हो जाती थी| 1950 से 1960 के बाद औद्योगिक घरानों में मिग वेल्डिंग का उपयोग ज्यादा किया जाने लगा| मिग वेल्डिंग यानी कि CO2 वेल्डिंग सबसे ज्यादा उपयोग में लाया जाता है| दुनिया भर में औद्योगिक घरानों और वेल्डिंग करने के लिए सबसे ज्यादा CO2 वेल्डिंग और मिग वेल्डिंग का उपयोग किया जाता है|
मिग वेल्डिंग में प्रयोग की जाने वाली इक्विपमेंट्स औजार की सारी जानकारी
मिग वेल्डिंग में खासतौर से वेल्डिंग वायर फील्ड यूनिट वेल्डिंग इलेक्ट्रोड वायर और फील्डिंग गैस का उपयोग किया जाता है| जिसमें वेल्डिंग गन और वायर फील्ड यूनिट सबसे प्रमुख होती है| मिग वेल्डिंग गन या CO2 वेल्डिंग गन में कई करेगी और भी चीजें होती हैं| जैसे कि गन स्विच कांटेक्ट पावर केबल गैस नोजल इलेक्ट्रॉनिक एंड लाइनर कम अपोजिट केवल और गेस्ट यू| जब भी कोई ऑपरेटर 10 व्हिच कंट्री को दबाता है तब इलेक्ट्रिक पावर फील्डिंग गैस फ्लो स्टार्ट होता है| जिससे इलेक्ट्रोड वायरवर्क्स को छूते ही इलेक्ट्रिक और उत्पन्न होता है और वेल्डिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाती है| CO2 वेल्डिंग गन और मिग वेल्डिंग में कांटेक्ट इफ मुख्य रूप से कॉपर की होती है जो की पावर सप्लाई से कनेक्ट होती है| जिसका मुख्य काम इलेक्ट्रोड इलेक्ट्रिक करंट पहुंचाना होता है| हमें डायमीटर के अनुसार चुनना पड़ता है कांटेक्ट 21 साइज हमें इलेक्ट्रोड वायर के डायमीटर के अनुसार चुनना पड़ता है| सामान्यता इलेक्ट्रोड का डायमीटर 0 पॉइंट 7 से 2.4 एमएम के बीच में होता है और कहीं कहीं पर यह 4 एमएम तक हो जाता है| काम के अनुसार हमें यह चुनना पड़ता है|
मिग वेल्डिंग के बहुत फायदे हैं? Advantage of MIG Welding
दुनिया भर में इस सबसे ज्यादा यूज किया जाता है| मिग वेल्डिंग को CO2 वेल्डिंग भी कहते हैं| यह बहुत ही फास्ट वेल्डिंग प्रोसेस और मजबूत करती है| बहुत ही बेहतरीन हाई क्वालिटी की Welding की जा सकती है| मिग वेल्डिंग अत्यंत वर्सीटाइल यानी बाहुबली होती है| जिसमें कई सारी धातुओं को Weld किया जा सकता है| इस प्रकार की Welding में बहुत ही कम से कम वेल्डिंग एरर आता है, यानी कि मिनिमम वेल्डिंग डिफेक्ट्स| MIG वेल्डिंग को बहुत सारे तरीके से प्रयोग में लाया जाता है| जैसे कि सेमी ऑटोमेटिक और फुली ऑटोमेटिक उपयोग होता| जिसकी वजह से उसका कोई झंझट नहीं होता| इस वजह से हाई क्वालिटी Welding होती है|
मिग वेल्डिंग के नुकसान Disadvantage of MIG Welding
इस प्रकार की वेल्डिंग के मुकाबले मिग वेल्डिंग में ज्यादा उपकरण लगते हैं| और इनकी संरचना बहुत ही जटिल होती है| वर्टिकल पोजिशन में वेल्डिंग करना काफी मुश्किल भरा काम होता है| इस प्रकार की वेल्डिंग में ओवरहेड पोजीशन में Weld नहीं कर सकते| सामान्य वेल्डिंग मशीन के मुकाबले मिग वेल्डिंग मशीन काफी महंगी होती है|
आज आपने मिग वेल्डिंग क्या है? CO2 वेल्डिंग क्या है? साथ ही वेल्डिंग का पूरा इतिहास और वेल्डिंग में इस्तेमाल होने वाली औजार की पूरी जानकारी| इस तरह की पोस्ट पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट पर रेगुलर कीजिए|
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