गैस वेल्डिंग क्या है? गैस वेल्डिंग कितने प्रकार की होती है? गैस वेल्डिंग का फायदा गैस वेल्डिंग का नुकसान क्या है?
गैस वेल्डिंग क्या है? What is Gas Weld
गैस वेल्डिंग में एक तरह का फ्यूजन वेल्डिंग प्रोसेस है, जिसमें दो या दो से अधिक धातुओं के पार्ट्स को ऑक्सीजन और ईंधन गैस की समन्वय से उत्पन्न होने वाली हॉट फिल्म का उपयोग करके वेल्डिंग किया जाता है| गैस वेल्डिंग में इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत नहीं पड़ती| यहां पर गैसों के मिश्रण से वेल्डिंग का कार्य किया जाता है| दो गैसों के मिश्रण जिसमें पहली गैस ऑक्सीजन और दूसरे में एसिटिलीन गैस, हाइड्रोजन मेथेन एथेन प्रोपेन आदि गैसों का उपयोग किया जाता है| सबसे ज्यादा एसिटिलीन गैस का उपयोग किया जाता है| किसी भी वेल्डिंग कार्य को करने में गैस वेल्डिंग, ARC Wlding से काफी आसान और कम रिस्क वाली होती है|
Types of Gas Welding गैस वेल्डिंग कितने प्रकार का होता है?
गैस वेल्डिंग निम्नलिखित प्रकार का होता है-
1. ऑक्सी एक्टेलियन वेल्डिंग
ऑक्सी एसिटिलीन वेल्डिंग में वेल्डिंग फ्लेम को जलाने के लिए एसिटिलीन गैस और ऑक्सीजन गैस का मिश्रण उपयोग में लाया जाता है| जिससे फ्लेम उत्पन्न होती है और तापमान 3100 डिग्री सेंटीग्रेड से भी ज्यादा उत्पन्न हो जाता है|
2. ऑक्सी हाइड्रोजन वेल्डिंग
इस में ऑक्सीजन के साथ हाइड्रोजन गैस को फ्यूल के रूप में प्रयोग किया जाता है और Flamउत्पन्न किया जाता है| इसका तापमान लगभग 2500 डिग्री सेंटीग्रेड तक होता है| इसका उपयोग आभूषण बनाने की प्रक्रिया में भी किया जाता है|
3. ऑक्सीजन नेचुरल गैस वेल्डिंग
इस में ऑक्सीजन के साथ नेचुरल गैस को फ्यूल के तौर पर प्रयोग किया जाता है| जैसे कि मिथेन एथेन प्रोपेन गैस और प्रोपेन का ज्वाला तापमान एसिटिलीन की तुलना में कम होता है| इसके द्वारा उत्पन्न फ्लेम का तापमान लगभग 2000 डिग्री सेंटीग्रेड से भी कम रहता है| यह दोनों गैस कम खर्चे में आ जाती है और ट्रांसपोर्टेशन में काफी आसान होती हैं| इस प्रकार की वेल्डिंग का उपयोग बैंडिंग, सोल्डरिंग और फिटिंग के लिए किया जाता है| प्रोपेन वेल्डिंग के लिए इंजेक्टर की तुलना में एक अलग प्रकार की मशाल टिप का उपयोग किया जाता है क्योंकि propane-1 भारी गैस मानी जाती है|
गैस वेल्डिंग में उपयोग की जाने वाले सामान (Equipement used in Gas Weld)
फ्यूल गैस सिलेंडर सिलेंडर में गैस भरी होती है जैसे एक्टलिन गैस हाइड्रोजन मिथेन प्रोपेन गैस सभी गैस से काफी ज्वलनशील होती है इसीलिए हर सिलेंडर पर अलग से गैस को मार किया जाता है और सिलेंडर का रंग लाल या मैरून रंग का होता है ऑक्सीजन सिलेंडर गैस वेल्डिंग में ऑक्सीजन की निरंतर सप्लाई होती है ऑक्सीजन सिलेंडर वेल्डिंग के लिए संपीड़ित ऑक्सीजन होता है और यह आमतौर पर काले रंग में सिलेंडर को रंगा जाता है यानी कि काले रंग का सिलेंडर ऑक्सीजन सिलेंडर होता है प्रेशर एंड रेगुलेटर इन दोनों सिलेंडर के ऊपर 221 लगे होते हैं जो सिलेंडर ऊपर गैर लगे होते हैं इसमें से एक प्रेशर बैग होता है जो सिलेंडर के अंदर की प्रेशर को बताता है और वह वर्किंग गेम होता है दूसरा वर्किंग गेम होता है जो फ्लो हो रहे गैस के प्रेशर को बताता है इन दोनों सिलेंडर में 11 रेगुलेटर भी लगा होता है जिससे गैस की सप्लाई को कंट्रोल किया जाए होज पाइप हौज पाइप गैस का उपयोग सिलेंडर से वेल्डिंग मसाल तक ऑक्सीजन और ईंधन गैस को लाने के लिए किया जाता है आपने घरों में प्रयोग होने वाली गैस सिलेंडर में लगे हुए पाइप को देखा होगा जो कि काफी मजबूत होता है यह पाइप भी बिल्कुल ऐसे ही होते हैं लेकिन यह काले रंग की या अलग-अलग कलर की होती है जिससे पहचान हो सके किस गैस पाइप में किस तरह की गैस आ रही है दोनों 5 सिलेंडर से निकलती है और टॉर्च से जाकर कनेक्ट हो जाती है इसे ब्लोपाइप के नाम से भी जाना जाता है इस वेल्डिंग टॉर्च जिसमें मिक्सिंग चेंबर होता है हॉर्स पाइप से कनेक्ट होती है दोनों पाइप के पास 11 कंट्रोल वाल्व लगा होता है जो ऑक्सीजन और एक्टिंग गैस की मिश्रण परसेंटेज को बढ़ाने या घटाने में मदद करता है इस तरह से नॉर्मल बॉल होता है जो इन दोनों देशों की फ्लोरेट को कंट्रोल करता है टॉर्च का जो मेन काम होता है वह गैस को मिक्स करना होता है इन दोनों देशों को मिक्स किया जाता है और सही तरीके की कॉन्बिनेशन में आगे भेजा जाता है जब यह गैस अच्छी तरह से मिक्स होकर टिप के पास आकर रुक जाती हैं जहां पर नोजल लगा होता है जिसका काम होता है गैस को एक करेक्ट वैल्यू सिटी के साथ बाहर निकालना जहां पर उस गैस में आग लगाया जाता है जिससे की एक हॉट फिल्म प्रोड्यूस होती है गैस वेल्डिंग को कैसे किया जाता है इसमें वेल्डिंग के दौरान मेटल के अनुसार उसी मेटल का इलेक्ट्रोड उपयोग किया जाता है जैसी आदि लोहे को बंद करना है तो लोहे का रॉड लगता है यदि पीतल का बेल्ट करना है तो पीतल का रोड उपयोग में लाया जाता है वेल्डिंग के दौरान पीतल रोड के साथ फ्लक्स के रूप में सुहागा का उपयोग भी किया जाता है वेल्डिंग के सबसे पहले गैस को खोला जाता है और लाइटर की मदद से उसे जलाया जाता है और उसके बाद ऑक्सीजन लेवल और फ्यूल गैस लेवल को थोड़ा सा एडजेस्ट करके फ्लेम्को ऐसा सेट किए जाता है कि लोहे की रॉड को आसानी से पिघला सके लौटने के बाद बॉडी पार्ट्स को बोलना होता है उसे अच्छी तरह से हिट करके फिर वहां पर उस रोड को पिघलाकर बंद कर दिया जाता है पीतल की वेल्डिंग भी इसी तरह की जाती है सबसे पहले उसे बॉडी पार्ट्स को हिट किया जाता है साथ ही फिट किया जाता है उसके बाद पीतल के रोड में सुहागा लगाकरलगाकर उसे मेल्डिंग किया जाता है
टाइप ऑफ फिल्म जैसे ही टिप से गैस बाहर निकलती है और जलती है तो उसमें से एक फिल्म होती है उसमें भी तीन तरह के जोड़ होते हैं जिसमें पहला जोन ब्लू जोन होता है दूसरा जोन पहले से कुछ बड़ा होता है जिसे ऑक्सिडाइजिंग जोन के नाम से जाना जाता है तीसरा जॉन कार्ब्यूराइजिंग जॉन बोला जाता है यहां पर विस्तार में पढ़िए नेचुरल जोन मिक्सर टॉर्च में ऑक्सीजन और एक्टिव लाइन गैस को मिक्स किया जाता है दोनों गेसूपुर सेम क्वांटिटी में मिक्स किया जाता है उसके बाद टिप्स से बाहर निकाला जाता है उससे एक फिल्म बनेगा जिसका कलर ब्लू होगा वह ब्लू जोन के अंतर्गत आएगा जिसे नेचुरल जोन भी बोला जाता है इसका तापमान लगभग 32 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तक रहता है क्योंकि इसमें जो कंप्यूटेशन हो रहा है वह कंप्लीट हो रहा है अधिकांश वेल्डिंग प्रक्रिया इसी प्लेन का उपयोग करके की जाती है इसे प्राकृतिक ज्वाला भी कहते हैं क्योंकि यह लो वेल्डिंग में काम आता है या रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं करता और बहुत ही कम दुआ पैदा करता है एक तटस्थ लोगों में मात्रा के हिसाब से सामान ऑक्सीजन और गैस ईंधन होता है इस ज्वाला में दो शंकु होते हैं भी त्रिशंकु सफेद रंग का है और बाहरी संकुल लाल रंग का होता है इसका उपयोग हल्के स्टील stainless-steel कच्चा लोहा तांबा एलमुनियम जैसी चीजों को बेल्ट करने के लिए किया जाता है ऑक्सिडाइजिंग जोन दूसरा जो ऑक्सिडाइजिंग जोन होता है जो एक्टिव लाइन का और ऑक्सीजन का मिश्रण होता है यहां पर ऑक्सीजन ज्यादा और एक्टिंग गैस कम मात्रा में उपयोग की जाती है यहां पर गंभीर स्टेशन होता है वह थोड़ा इनकंप्लीट होता है इसीलिए यहां पर जो टेंपरेचर डिवेलप होता है वह ब्लू जोन के मुकाबले कम होता है इसका तापमान लगभग 22 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास रहता है इस जॉन की फिल्म काला ऑरेंज होता है कार्ब्यूराइजिंग जॉन कार्ब्यूराइजिंग जोन में कार्बन की मात्रा ज्यादा होती है जिसकी वजह से कम 20 ट्यूशन होता है वह इनकंप्लीट होता है क्योंकि इसमें ऑक्सीजन एक्टिव लाइन से कम हो जाती है जिसकी वजह से यह अच्छी तरह से चल नहीं पाता और इसका कलर येलो रहता है इस जॉन का तापमान लगभग 16 से 18 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहता है इस लॉक को कार्ब्यूराइजिंग कहा जाता है क्योंकि जब इस लोक का उपयोग वेल्डिंग में किया जाता है तो धातु कार्बाईड बनता है यदि स्लो का उपयोग करके कार्बन को अवशोषित करने वाली धातु को बेल्ट किया जाता है तो धातु के गुण बदल जाएंगे बदल जाते हैं यह लो अधिक धुए के रंग की ओर और शांत होता है इस लो में ऑक्सीजन की तुलना में अधिक ईंधन गैस का उपयोग किया जाता है इस ज्वाला में ईंधन गैस और ऑक्सीजन का अनुपात तीन संबंधित दो होता है कार्ब्यूराइजिंग फ्लेम में तीन संख्या क्षेत्र होते हैं आंतरिक संघ को सफेद रंग का होता है मध्यवर्ती शंभू लाल रंग का होता है और बाहरी संकुल नीले रंग का होता है मध्यम कार्बन स्टील निखिल आदि में कार्ब्यूराइजिंग लो का उपयोग किया जाता है इस लौ का उपयोग धातु में किया जाता है जो कार्बन को अवशोषित नहीं करता या ऐसी स्थिति में जहां कार्बन की अवशोषण की आवश्यकता ज्यादा होती है
गैस वेल्डिंग के लाभ (Advantage of Gas Welding)
गैस वेल्डिंग का उपयोग अलग-अलग प्रकार की धातु को जोड़ने के लिए किया जाता है| गैस वेल्डिंग का उपयोग लौह और अलौह धातु को एक साथ वेल्डिंग के लिए भी किया जाता है| यह वेल्डिंग प्रक्रिया अन्य वेल्डिंग प्रक्रिया की तुलना में सबसे Sasti और अच्छी होती है| इसमें बिजली के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती| जब हम गैस वेल्डिंग की तुलना ARC Wlding से करते हैं, तो गैस वेल्डिंग को संचालित करने के लिए किसी बिजली की आवश्यकता नहीं होती, जो कि काफी अच्छी मानी जाती है| आप उन जगहों पर भी गैस वेल्डिंग का उपयोग कर सकते हैं, जहां बिजली नहीं है|
गैस वेल्डिंग के नुकसान (Disadvantage of Gas Welding)
इसका मेटल जॉइनिंग रेट और वेल्डिंग स्पीड काफी स्लो और धीरे होती है| इसको Use एक्टिवेट और रिफ्रैक्ट्री मेटल को वर्ल्ड करने में नहीं किया जाता है| इसके लिए स्किल्ड ऑपरेटर की जरूरत होती है| इसको रिएक्टिव Weld करने में उपयोग नहीं किया जाता|
गैस वेल्डिंग का उपयोग कहां कहां पर किया जाता है??
गैस वेल्डिंग का उपयोग विभिन्न उद्योग और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में किया जाता है| जैसे की मरम्मत कार्य| गैस वेल्डिंग के लिए सबसे आम लोगों में से एक मरम्मत कार्यों के लिए गैस वेल्डिंग का उपयोग किया जाता है| Airplan का निर्माण गैस वेल्डिंग का उपयोग किया जाता है| उद्योग ऑक्सी एसिटिलीन वेल्डिंग आमतौर पर विभिन्न भागों को जोड़ने में उपयोग किया जाता है| इसके कुछ हिस्सों को बेल्ट करने में उपयोग किया जाता है| कार्बन स्टील को पिघलाने में गैस वेल्डिंग बहुत ही प्रभावी तरीके से काम करती है|
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