92 साल की उम्र में स्वर कोकिला लता मंगेशकर मंगेशकर का निधन लता मंगेशकर के बारे में 10 अनसुनी बातें

<p>अपनी आवाज और गाने से लोगों के दिलों पर राज करने वाली भारत रत्न प्राप्त लता मंगेशकर मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन हो गया उन्होंने करीब 5 दशकों तक हिंदी संगीत उद्योग पर सफलतापूर्वक राज किया वह भारत में ही प्रसिद्ध नहीं थी बल्कि दुनियाभर में अपने गाने और सुरीली आवाज के लिए प्रसिद्ध थी लता म मंगेशकर करीब 30,000 से ज्यादा गाना गा चुकी है और उन्होंने कई क्षेत्रीय भाषाओं में गाने गाए हैं और काफी सारी फिल्मों के लिए वह गाने गा चुकी है </p>

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<p>आपको पता नहीं होगा कि लता मंगेशकर का मोहम्मद रफी से काफी चर्चित विवाद भी हो चुका है लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी के बीच में यह विवाद तब पैदा हुआ जब लता मंगेशकर और कुछ प्रसिद्ध संगीतकार ने अपने द्वारा गाने गाए हुए गानों के एवज में रॉयल्टी मांगना स्टार्ट किया हालांकि उन्होंने यह विचार सभी संगीतकारों के साथ रखे थे कि जो भी गाने उन्होंने गाए हैं जब भी कंपनियों को उनसे फायदा हो वह उन गानों की एवज में उन्हें कुछ लाभ का प्रतिशत जीवन भर दें इस बात का समर्थन मुकेश जी मन्ना डे तलत महमूद और किशोर दा ने भी किया था लेकिन इसके उल्टे मोहम्मद रफी साहब ने इस बात का विरोध किया कि जब एक बार गाना गाया जा चुका है और पैसे ले लिए गए हैं तो दोबारा से किसी कंपनी से पैसे लेना नाइंसाफी होगी इन्हीं विचारों को लेकर लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी के बीच में काफी ज्यादा विवाद उत्पन्न हो गया काफी सालों तक इन दोनों ने कोई भी गाना साथ में नहीं गाया बाद में आर डी बर्मन ने इन दोनों का समझौता कराया और 1967 में जाकर इन दोनों ने साथ में फिल्म के लिए गाना गाया यह वाक्य प्रसिद्ध किताब जो कि यतींद्र मिश्रा ने लिखी है उनकी लिखी गई किताब लता सुर गाथा में इसका जिक्र किया गया है लता मंगेशकर के जीवन के ऊपर यह किताब लिखी गई है और यहां पर काफी सारी उनके बारे में अनसुनी बातें शेयर की गई है </p>

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<p>या एक ऐसी संगीतकार थी जिन्होंने हिंदी संगीत जगत पर सफलतापूर्वक राज किया था और काफी सारी फिल्मों के लिए करीब 30,000 से ज्यादा गाना गा चुकी थी यह एकमात्र ऐसी जीवित शख्सियत थे जिनके नाम पर पुरस्कार दिए जाते हैं रहे हैं आज मैं आपको बताता हूं 10 ऐसी अनसुनी बातें लता मंगेशकर के बारे में जो कि आप नहीं जानते और आपको जानना चाहिए </p>

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<p>लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर पहले होने वाले नाटकों में गाना गाते थे और अभिनय करते थे उस समय लता मंगेशकर की उम्र केवल 5 साल थी </p>

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<p>लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को एक मिडिल क्लास मराठी परिवार में हुआ था इनके पिता ने इनका नाम लता रखा था इनकी शुरुआती स्कूली शिक्षा पूरी नहीं हुई है और उन्होंने बचपन में ही स्कूल जाना छोड़ दिया था </p>

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<p>लोग बताते हैं कि लता मंगेशकर ने बचपन में स्कूल में ही दूसरे बच्चों को संगीत की शिक्षा देना शुरू कर दिया था और उस समय नाचना गाना और संगीत की शिक्षा देना बुरा समझा जाता था जिसकी वजह से स्कूल ने इन पर रोक रोक लगाना चाहा जिसकी वजह से इन्होंने स्कूल जाना बंद कर दिया </p>

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<p>करीब 13 साल की जब लता मंगेशकर थी उस समय इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर की मृत्यु हो गई थी और परिवार की जिम्मेदारी लता मंगेशकर पर आ गई 1940 के दशक में इन्होंने परिवार पालने के लिए गाना गाना स्टार्ट कर दिया था और छोटे-मोटे के थिएटर और नाटक में यह गाना गाती थी </p>

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<p>1942 में इन्होंने पहला गाना मराठी फिल्म किती हर साल मैं गया था जब फिल्म रिलीज नहीं हुई थी </p>

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<p>लता मंगेशकर ने पहली बार मंच पर गाना गाया और इनकी पहली कमाई ₹25 थी जो कि उस समय बहुत ज्यादा होती थी</p>

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<p> साल 1945 आते-आते लता मंगेशकर मुंबई चली गई और उनकी पहली फिल्म 1949 में हिट हुई और यह फिल्म थी महल जिसका गाना था आएगा आने वाला और यह गाना इतना हिट हुआ था कि इसके बाद इनको गाने के काफी सारे ऑफर मिलने शुरू हो गए थे</p>

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<p> लता मंगेशकर 1962 की शुरुआत में गंभीर रूप से बीमार पड़ गई उस समय उनकी उम्र 33 साल थी और जब डॉक्टर ने पता किया तो पता चला कि इनको काफी दिनों से खाने में धीमा जहर दिया जा रहा था यह बात जैसे ही फैली इनका रसोईया घर छोड़कर भाग गया हालांकि यह अस्पताल में भर्ती रहें और जहर की वजह से काफी दिनों तक इनको बेड रेस्ट करना पड़ा उसके बाद यह ठीक हुई </p>

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<p>इसके अगले साल की 1963 में लता मंगेशकर ने 1962 भारत चीन युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के लिए गाना गाया ऐ मेरे वतन के लोगों जिसको सुनकर प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की आंखों में आंसू छलक पड़े थे </p>

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<p>1974 में यह पहली भारतीय थी जिसे लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में गाने का अवसर मिला </p>

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<p>लता मंगेशकर संगीतकार निर्देशक गुलाम हैदर को अपना गॉडफादर मानती थी क्योंकि पहला ब्रेक उन्होंने ही दिया था और इनकी काफी सहायता की थी </p>

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<p>बॉलीवुड में निर्माता राज कपूर ने लता मंगेशकर की ही जिंदगी पर एक फिल्म बनाई थी जिसका नाम था सत्यम शिवम सुंदरम इस फिल्म को स्टार्ट करने से पहले लता मंगेशकर ने इस में एक्टिंग करने का वादा किया था लेकिन जब फिल्म बनने लगी तो लता मंगेशकर ने सत्यम शिवम सुंदरम फिल्म में एक्टिंग करने से मना कर दिया और इनकी जगह पर उस समय की जबरदस्त एक्टर जीनत अमान का कैरेक्टर रूपा का रोल निभाया था यह फिल्म भी काफी ज्यादा हिट हुई थी </p>

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<p>तो आपने जाना 10 ऐसे अनसुने राज जो कि आपको पहले जान लेनी चाहिए थी इन्हें नाइटेंगल ऑफ इंडिया भी कहा जाता है और क्वीन एवं मैलोडी के नाम से भी यह प्रसिद्ध है इनको बचपन में हेमा कहकर भी बुलाया जाता था इसलिए कई जगह पर इनको है हेमा मां मंगेशकर भी कहा जाता है इनका जन्म 28 सितंबर को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था और कुछ दिनों बाद गायकी के दम पर यह बॉलीवुड इंडस्ट्री यानी मुंबई शिफ्ट हो गई थी </p>

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<p>इनको काफी सारे अवार्ड भी मिल चुके हैं जैसे कि नेशनल फिल्म अवॉर्ड फिल्मफेयर अवॉर्ड फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड फिल्मफेयर स्पेशल अवार्ड और कई सारी सम्मान भी मिल चुके हैं जैसे कि पदम भूषण दादा साहब फाल्के अवार्ड महाराष्ट्र भूषण पदम विभूषण भारत रत्न और भी कई सारे अवार्ड यह मेंबर ऑफ पार्लियामेंट भी रह चुकी है इनकी बहन आशा भोंसले भी काफी अच्छी सिंगर है इन्होंने कई भाषाओं में गाने गाए हैं</p>

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<p>आपको पता नहीं होगा 1983 में जीत के बाद बीसीसीआई यानी कि क्रिकेट बोर्ड के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह खिलाड़ियों को पैसे दे सकें उस समय लता जी ने बीसीसीआई यानी क्रिकेट बोर्ड को इस संकट से निकाला था और इसके चलते बीसीसीआई की तरफ से जितने भी मैच खेले जाते हैं उसमें दो वीआईपी टिकट लता जी के लिए हमेशा फ्री रखे जाते हैं आइए जानते हैं क्या है यह कहानी कपिल देव की कप्तानी में भारत ने वर्ल्ड कप जीता था उस समय बीसीसीआई के पास इस जश्न को मनाने के लिए पैसा नहीं था और खिलाड़ियों को देने के लिए भी पैसा नहीं था उस समय बीसीसीआई को एक सुझाव मिला कि लता मंगेशकर का एक कॉन्सर्ट जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में कराया जाए जिसकी वजह से स्टेडियम में काफी लोग आएंगे और बीसीसीआई के बाद काफी धन इकट्ठा हो जाएगा बाद में 2 घंटे का यह कार्यक्रम हुआ और बीसीसीआई क्रिकेट बोर्ड ने उस कॉन्सर्ट से काफी ज्यादा पैसे इकट्ठे कर लिए और सभी खिलाड़ियों को ₹100000 दिया गया उस जमाने में बीसीसीआई यानी कि क्रिकेट बोर्ड के बाद पास कोई भी स्पॉन्सर नहीं होता था और आज की तरह उनके ऊपर पैसों की बरसात नहीं होती थी वहां पर बहुत मुश्किल से खिलाड़ियों को पैसे देने के लिए कैसे होते थे उस समय लता जी ने इस मुश्किल से क्रिकेट बोर्ड को मारा था इसके बाद से ही बीसीसीआई उनके सम्मान के तौर पर हर स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय मैच खेल दो वीआईपी पास लता मंगेशकर के लिए रखे जाते हैं जहां पर लता जी और उनके भाई क्रिकेट देखने आते हैं और यह बिल्कुल फ्री होता है</p>

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<p> उम्मीद है आपको आशा भोसले लता मंगेशकर के बारे में यह जानकारी अच्छी लगी होगी आप इसे शेयर भी कर सकते हैं</p>