कोहिनूर हीरा क्या है, कोहिनूर हीरे का इतिहास Kohinoor Diamond Facts

कोहिनूर हीरा इतिहास, कोहिनूर हीरा कहां है? कोहिनूर हीरा की कीमत क्या है? कोहिनूर हीरा को क्यों कटवाया गया था? कोहिनूर हीरा भारत वापस लाने के लिए अभी क्या किया जा रहा है? कोहिनूर हीरा क्या है कोहिनूर हीरे का इतिहास (Kohinoor Diamond ka Itihas)

Kohinoor Diamond in Crown

पुराने जमाने से ही राजा महाराजा और अमीर घराने के लोगों को सोने से भी प्रिय हीरा रत्न है| हीरा एक प्रकार का रत्न है जोकि अत्यंत बेशकीमती होता है| कोहिनूर हीरा सभी प्रकार के हीरो में सबसे ज्यादा महंगा, सबसे ज्यादा पुराना और सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है| क्योंकि इस हीरे से काफी सारी इतिहास की घटनाएं जुड़ी हुई है| कोहिनूर शब्द का अर्थ प्रकाश का पर्वत और प्रकाश की श्रंखला होता है| इसे भारत में सबसे पहले आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले की कोलारू खदान से पाया गया था| काफी समय से कई देश कोहिनूर हीरो को अपने देश का बताते हैं| यह भी एक चर्चा का विषय है कि कोहिनूर हीरा सबसे पहले कहां पाया गया था| इस समय कोहिनूर हीरा ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में लगा हुआ है, और यह महारानी की निजी संपत्ति है|

कोहिनूर हीरे का इतिहास

कोहिनूर हीरे का काफी लंबा इतिहास रहा है| माना जाता है कि लगभग 5000 वर्ष पुराना यह हीरा है| कोहिनूर हीरा राजाओं के पास से होता हुआ अंत में ब्रिटिश महारानी के मुकुट में सुशोभित हो रहा है| जिसने तरह की Diamond पाए जाते हैं, उसमें कोहिनूर हीरा काफी कीमती माना जाता है| हमारे ग्रंथों में लगभग 5000 वर्ष पहले संस्कृत भाषा में हीरे का उल्लेख किया गया है| उस समय इसे “Shyamantak” नाम से जाना जाता था| 13 वी शताब्दी में सन 1304 में कोहिनूर हीरा मालवा के महाराजाओं के पास सुरक्षित था| सन 1339 में इस हीरे को “Smarkand” नगर में लगभग 300 सालों तक रखा गया था| इस हीरे से जुड़ी हुई कई सारी भ्रांतियां भी लोगों में फैली हुई है, जैसे कि अगर इस हीरे को कोई भी पुरुष धारण करता है तो वह श्रापित हो जाएगा और उसके साथ कुछ भी अनहोनी घट सकती है|

जहां तक भी कहा गया कि इस हीरे को कोई स्त्री धारण कर सकती है, भगवान ही इसे पहन सकते हैं| अगर कोई स्त्री से धारण करती है तो उसके साथ कुछ भी अनहोनी नहीं होगी| कोहिनूर हीरा बाद में मुगल शासकों के कब्जे में आ गया, और दिल्ली के सम्राट अलाउद्दीन खिलजी की पास रखा हुआ था| सन 1526 में मुगल शासक बाबर में अपने पास रखा| बाबर को कोहिनूर हीरा सुल्तान इब्राहिम लोदी ने भेंट स्वरूप दिया था| मुगल शासक बाबर के प्रसिद्ध लेख बाबरनामा में इसे “बाबर का हीरा” बताया गया है| बाद में मुगल सम्राट औरंगजेब इसे लाहौर की बादशाही मस्जिद में लेकर आए| इसके बाद सन 1739 में परसिया के राजा नादिर शाह भारत की यात्रा पर आए| उन्होंने सुल्तान मोहम्मद को हराकर यह हीरा अपने कब्जे में ले लिया|

इस बेशकीमती हीरे को सबसे पहले कोहिनूर नाम दिया| कई सालों तक यह हीरा पर्शिया के पास रखा हुआ था| सन 1747 में नादिर शाह की हत्या कर दी गई, और इस बेशकीमती कोहिनूर हीरे को जनरल अहमद शाह दुर्रानी ने अपने कब्जे में ले लिया| अहमद शाह दुर्रानी के वंशज शाह शुजा दुर्रानी कोहिनूर हीरे को 1813 में भारत में सिख समुदाय के संस्थापक राजा रंजीत सिंह को सौंप दिया| इस बेशकीमती Kohinoor Diamond के बदले में राजा रंजीत सिंह ने, सूजा दुर्रानी को अफगानिस्तान में लड़ने और उनकी राजगद्दी वापस पाने में उनकी मदद की थी|

महाराजा रंजीत सिंह के प्रिय घोड़ी का नाम भी कोहिनूर था| राजा रंजीत सिंह ने अपनी वसीयत में कोहिनूर हीरे को उनकी मृत्यु के बाद जगन्नाथ पुरी उड़ीसा के मंदिर में देने की बात कही थी| परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी में यह कोहिनूर हीरा अपने कब्जे में ले लिया और उनकी बात को नहीं माना| 29 मार्च 1849 को British एंगलो सिख युद्ध की संपत्ति पर ब्रिटिश सेना ने राजा रंजीत सिंह को हरा दिया और राजा रंजीत सिंह की सब संपत्ति और राज्य पर कब्जा कर लिया| ब्रिटिश सरकार ने लाहौर की संधि लागू करते हुए कोहिनूर हीरे को ब्रिटिश यानी कि इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को सौंपने की बात कही|

इस समय कोहिनूर हीरा लंदन के टावर में सुरक्षित रखा हुआ है| सबसे पहले बाबर ने इस कोहिनूर हीरे का मूल्य बताते हुए, अपने ग्रंथ बाबरनामा में लिखा है की यह सबसे बेशकीमती और दुनिया का सबसे महंगा रत्न है| जिसकी कीमत पूरी दुनिया में 1 दिन की आमदनी के आधे मूल्य के बराबर है| हालांकि इतिहास में इसकी कीमत को लेकर अभी तक कुछ भी पता नहीं चला है, ना ही इसको किसी ने बेचने की कोशिश की है|

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा कोहिनूर हीरे को कब्जे में लेना

कोहिनूर हीरा राजा रंजीत सिंह के पास था| 1849 में ब्रिटिश के साथ जंग हारने पर राजा रंजीत सिंह की सारी संपत्ति को ब्रिटिश सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया और यह बेशकीमती कोहिनूर हीरा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा अपने खजाने में रखा गया| इस कोहिनूर हीरे को अंत में ब्रिटेन ले जाया गया| ऐसा भी कहा जाता है कि कोहिनूर हीरे को ले जाते वक्त इसके सुरक्षा गार्डों ने इसे चुरा लिया और कुछ दिन बाद एक नौकर ने कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन की महारानी को लौटा दिया| अंत में यह हीरा इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया| जुलाई 1850 में, महारानी विक्टोरिया ने इसे एक क्रिस्टल पैलेस में प्रदर्शनी के लिए रखा और उस समय इस हीरे का वजन 186 कैरेट था|

उस समय इस हीरे को बहुत ज्यादा नहीं तराशा गया था| जिसकी वजह से यह दिखने में ज्यादा अच्छा नहीं लगता था, और इस हीरे से कोई भी प्रकाश की तरंग नहीं निकलती थी| जिसे देखकर महारानी विक्टोरिया के पति प्रिंस Albert ने इस को नया स्वरूप देने का निश्चय किया| सन 1852 में इसे काट कर 105.6 कैरेट का कर दिया| इसे काटकर ओवल शेप में सही साइज का बनाया गया| इससे पहले इसको नहीं काटा गया था|

महारानी विक्टोरिया की वसीयत

महारानी विक्टोरिया की वसीयत के अनुसार किसी खास अवसर पर इस हीरो को पहना जा सकता है| और केवल उनके उत्तराधिकारी महारानीयों द्वारा ही इस हीरे को पहना जाना चाहिए| कोई भी पुरुष राज्य पर शासन करता है तो उसकी पत्नी को कोहिनूर हीरा पहनने का अधिकार होगा| महारानी विक्टोरिया की मृत्यु के बाद कोहिनूर हीरे को महारानी के Crown में लगा दिया गया| यह ताज ब्रिटेन की महारानी द्वारा पहना जाता है| महारानी के जिस ताज में इस हीरे को लगाया गया है, उसमें अन्य किस्म के 2000 हीरे भी लगे हुए हैं| अब इस ताज को लंदन के टावर में रखा गया है, और इसे देखने लोग दूर-दूर से आते हैं| यह Kohinoor Heera British परिवार की संपत्ति है| इस ताज को महारानी विक्टोरिया के बाद, महारानी एलिजाबेथ द्वारा पहना गया है|

कंट्रोवर्सी

कोहिनूर हीरे को लेकर कंट्रोवर्सी, कोहिनूर हीरे पर अभी भी कई सारे देश अपना हक जताते हैं| हालांकि सभी को पता है कि कोहिनूर हीरा भारत की ऐतिहासिक संपत्ति है| जिसे अंग्रेजों ने गलत तरीके से लूट लिया, वही ब्रिटिश सरकार यह कहती है कि कोहिनूर हीरे को महाराजा रंजित सिंह ने लाहौर शांति संधि के दौरान ब्रिटिश सेना को तोहफे में दिया था| इस हीरे के ऊपर कई सारे सवाल है| 1947 में भारत की आजादी के बाद से भारत ने कोहिनूर हीरे को वापस लाने के लिए काफी सारी रणनीति अपना रखी है| इसके बाद 1953 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की राजतिलक के दौरान भी, भारत द्वारा कोहिनूर की मांग की गई| परंतु हर बार ब्रिटिश सरकार कोहिनूर ब्रिटिश हक बताकर, भारत की सभी दलीलों को खारिज कर दी जाती है|

कोहिनूर पर हक के लिए भारत के साथ-साथ पाकिस्तान ने भी दावा कर रखा है| 1976 में पाकिस्तान ने कोहिनूर पर अपना हक बताते हुए ब्रिटिश सरकार के, कोहिनूर पाकिस्तान को लौटाए जाने की बात कही| इसके जवाब में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो को खत लिखा, कि कोहिनूर को 1849 मेरी लाहौर की शांति संधि के तहत महाराजा रणजीत सिंह ने ब्रिटिश सरकार को दिया है| इसीलिए ब्रिटिश, महारानी कोहिनूर को पाकिस्तान को नहीं सौंप सकती| इसके बाद सन् 2000 में कई बार भारतीय सदन ने कोहिनूर पर भारतीय दावा करते हुए ब्रिटिश सरकार पर आरोप लगाए हैं, कि कोहिनूर को ब्रिटिश सरकार ने गलत तरीके से भारत से कब्जे में किया है|

भारत के साथ-साथ तालिबान कोहिनूर को अपनी संपत्ति मानता है, और जल्दी से जल्दी से अफगानिस्तान को सौंपने की बात करता है| क्योंकि इतिहास में भी बताया गया है कि अफगानिस्तान ने इस हीरे को महाराजा रंजीत सिंह को दिया था| कोहिनूर हीरे को लौटाने के जवाब में जुलाई 2010 में ब्रिटेन की तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने कहा, अगर ब्रिटिश सरकार देश के दावे को सही मानते हुए अमूल्य रत्न एवं लौटती है, कुछ ही समय में ब्रिटिश संग्रहालय खाली हो जाएगा| उन्होंने भारत को कोहिनूर हीरा लौटाने से साफ मना कर दिया| अप्रैल 2016 में भारत ने ब्रिटेन पर कोहिनूर लौटाने की याचिका दायर की है| भारतीय संस्कृति मंत्री श्री महेश शर्मा ने कहा है, कोहिनूर के मुद्दे को जल्द से जल्द हल किया जाएगा| Kohinoor Diamond से जुड़ी हुई काफी सारी और भी चर्चाएं हैं, और समय-समय पर इसकी चर्चाएं मीडिया में आती रहती है| भारत सरकार अभी भी कोहिनूर हीरे को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है| देखते हैं आने वाले दिनों में क्या हाल निकलता है|

भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद ne Bhi, ब्रिटिश सरकार से कोहिनूर Heera को भारत को लौटाने का आग्रह किया है|

इस समय कोहिनूर हीरा ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में लगा हुआ है| इसलिए कोहिनूर हीरे की इस समय सुर्खियां फिर छा गई है|

कोहिनूर हीरे से जुड़ी हुई इतिहास

भारत अकेला देश नहीं है, जो Kohinoor Diamond को ब्रिटिश सरकार से वापस पाना चाहता है| कई सारे देश भी कोहिनूर हीरे पर अपना अपना हक जताते हैं जैसे कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान| कोहिनूर हीरा राज परिवारों को तबाह करते हुए अंत में ब्रिटेन पहुंचा है| इसके बारे में यह भी चर्चित है कि अगर इसको किसी पुरुष ने धारण किया है, तो वह बर्बाद हो जाएग| यदि इसको कोई स्त्री धारण करेंगी तो वह Wealthy रहेगी|

इस समय यह हीरा ब्रिटेन की महारानी के द्वारा मुकुट में पहना जाता है| और वहां पर भी किसी पुरुष के महाराजा के पहनने पर पाबंदी है| भारत की गुंटूर जिले में स्थित गोलकुंडा खदानों से और भी कई करे के बेशकीमती हीरे निकले हैं| जैसे कि दरियाई नूर, ग्रेट मुगल, आगरा डायमंड, अहमदाबाद डायमंड, सिटी ऑफ़ इंडिया इसके अलावा और भी बहुत सारे Diamond यहां से निकले हैं| कहा जाता है कि यह हीरा 1306 में चर्चा में तब आया जब इसे पहनने वाले शख्स ने लिखा कि, जो भी इंसान इस हीरे को पहने| वह इस संसार पर राज करेगा, लेकिन उसी के साथ उसका दुर्भाग्य भी शुरू हो जाएगा| आगे चलकर इसमें यह भी जोड़ा गया कि अगर इसको कोई महिला पहनती है तो वह संसार पर राज्य करेगी राज करेगी और उसके लिए काफी शुभ होगा|

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कोहिनूर हीरे की क्या विशेषता है

कोहिनूर हीरा दुनिया का सबसे मशहूर और पुराना हीरा है| सबसे पहले यह 793 कैरेट का था, बाद में ब्रिटेन में इसे 105.6 कैरेट का बना दिया गया| इस समय इसका वजन 21.6 ग्राम है| यह ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में लगा हुआ है|

कोहिनूर हीरे का पहला मालिक कौन था?

कोहिनूर हीरा 13 वीं शताब्दी में गोलकुंडा की खदान से निकाला गया था| सबसे पहले यह भारतीय काकतीय राजाओं के पास था|

इस समय कोहिनूर हीरा कहां है?

इस समय कोहिनूर हीरा ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में लगा हुआ है और यह लंदन टावर में दर्शकों के देखने के लिए रखा गया है|

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु हो चुकी है, अब ब्रिटेन की महारानी के Crown में लगे हुए, कोहिनूर हीरे को क्या भारत को सौंपा जाएगा|

कोहिनूर हीरा ब्रिटेन की महारानी की निजी संपत्ति है, यो वसीयत महारानी विक्टोरिया ने की थी| जो कोई भी इनका महाराजा महारानी बनेगा| जिस मुकुट में यह हीरा लगा है वह उनकी संपत्ति हो जाएगी| समय-समय पर भारत सरकार द्वारा धीरे पर अपना हक जताया जाता है| लेकिन ब्रिटेन सरकार हीरा देने से साफ मना कर चुकी है|

कोहिनूर हीरा शापित क्यों है?

कोहिनूर हीरे का अर्थ है, रोशनी का पर्वत यानी कि सबसे चमकदार हीरा| इस हीरे को जिस भी राजा महाराजा ने धारण किया वह और उसका राज्य तबाह हो गया| इस हीरे का इतिहास बहुत ही खराब रहा है| जितने भी राजाओं और सल्तनत के पास Ye हीरा गया, वह सल्तनत और राजा खत्म हो गए| इसीलिए कोहिनूर हीरा “श्रापित हीरा” बताया गया है|