विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को क्यों मनाते हैं, विश्वकर्मा पूजा का ऐतिहासिक महत्व

विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाया जाता है? 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाते हैं? विश्वकर्मा पूजा का ऐतिहासिक महत्व? विश्वकर्मा पूजा जिसे हम विश्वकर्मा जयंती भी कहते हैं, इसे प्रत्येक वर्ष 17 दिसंबर को पूरे जोर शोर से भारत में मनाया जाता है|

इस पूजा को हिंदू समुदाय द्वारा मनाया जाता है इसका समय भद्रा के अंतिम दिन कन्या संक्रांति या भद्र संक्रांति के दिन या यह उत्सव मनाया जाता है आज हम जानेंगे आखिर विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाया जाता है भारत में विश्वकर्मा पूजा श्रमिक हितों और कारखानों में तकनीकी काम करने वाले सभी के लोगों को लोगों के द्वारा भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है और ऐसा माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा इस सृष्टि में जितनी भी चीजें हैं सभी के रचयिता है यानी उन्होंने ही सभी को बनाया है भारत में बहुत सारे धार्मिक रीति रिवाज और प्राचीन परंपराओं से चले आ रहे पर्व को मनाते हैं लेकिन विश्वकर्मा पूजा का अपना एक अलग ही स्थान है भगवान विश्वकर्मा कौन थे भगवान विश्वकर्मा जी देवताओं के शिल्पकार थे इसीलिए इन्हें शिल्प के देवता के नाम से भी जाना जाता है इनकी पिता का नाम वास्तु था जो धर्म की सातवीं संतान थे धर्म ब्रह्मा जी के पुत्र थे हिंदू धर्म में विश्वकर्मा भगवान को निर्माण और श्रजन का फ्रोजन भजन भजन राजन देवता माना जाता है प्राचीन काल में जितने भी विशाल महल हथियार भवन निर्माण या किसी भी तरह का कोई भी निर्माण होता था तो भगवान विश्वकर्मा की देखरेख में ही यह किया जाता था इसीलिए जितनी भी कारीगर लोहे का औजारों मशीनों का उपयोग करते हैं इस दिन उनकी पूजा की जाती है और जितने भी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भारत या विश्व भर में है उनमें अधिकतर पूजा की जाती है और बंद रखा जाता है विश्वकर्मा जयंती क्या है प्राचीन मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा भगवान को किस दिन पूजा जाता है और उनकी पूजा के रूप में हजारों औजार निर्माण कार्य से जुड़ी हुई सामग्री कारखाना की पूजा की जाती है ऐसा माना जाता है कि विश्वकर्मा भगवान जिस किसी से भी प्रसन्न हो जाते हैं उसके जीवन में कभी भी सुख समृद्धि की कमी नहीं रहती है नाम विश्वकर्मा जयंती अन्य नाम विश्वकर्मा पूजा आरंभ 17 सितंबर समाप्त 18 सितंबर तिथि कन्या संक्रांति हिंदू कैलेंडर के भद्र माह का अंतिम दिन उद्देश्य परंपरा उत्सव मनोरंजन पालन भगवान विश्वकर्मा का जन्म मनाया जाता है हिंदू भारतीय लोगों द्वारा साल में हमेशा 17 सितंबर को या दिन आता है इस बार विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर शनिवार 2022 को मनाया जाएगा 2022 में विश्वकर्मा पूजा कब है 2022 में 17 सितंबर दिन शनिवार को विश्वकर्मा जयंती है और इसी भी भगवान विश्वकर्मा की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है साथ ही जितनी भी सारी गर लोग हैं वह अपने औजारों की पूजा करते हैं जितने भी उद्योगपति हैं वह अपने कल कारखानों की पूजा करते हैं और इस दिन बंद रखा जाता है भगवान विश्वकर्मा पूजा को क्यों मनाते हैं इस बार 17 सितंबर दिन शनिवार 2022 को भगवान विश्वकर्मा पूजा मनाई जाएगी भगवान विश्वकर्मा को देवी देवताओं का शिल्पकार कहा जाता है शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म भादो माह में हुआ था और हर साल सितंबर 17 सितंबर को इनका जन्मदिन मनाया जाता है जिसे हम विश्वकर्मा जयंती भी कहते हैं भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर भी कहा जाता है उन्होंने देवी देवताओं के लिए भवन और हथियार भी बनाए थे हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा सभी प्रकार की औजार और लोहे की वस्तुओं को सही तरीके से काम लायक बनाते थे इसीलिए सभी कल कारखानों में कारीगर लोग अपने मशीनों और हजारों की किस दिन पूजा करते हैं विश्वकर्मा पूजा कैसे की जाती है भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दिन कल कारखानों फैक्ट्रियों दुकानों ऑफिस में लगी हुई औजार मशीनरी की पूजा की जाती है और किस दिन किसी भी मशीन से कोई काम नहीं लिया जाता ऐसा माना जाता है अगर भगवान विश्वकर्मा जी खुश होंगे तो आपका बिजनेस ज्यादा तरक्की करेगा आइए जानते हैं पूजा विधि के बारे में सबसे पहले आपको अर्थात चावल मिठाई कॉल सुपारी गोली भी रक्षा सूत्र दही और भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर के आगे रंगोली जरूर बनाएं इसके बाद आप नहा धोकर पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें और उनको फूल अर्पण करें भगवान विश्वकर्मा का मंत्र छात्रों से इस त्यौहार में कारखानों औद्योगिक क्षेत्रों दुकान और कारीगरों के औजारों को किसी समतल जमीन पर रखकर उसकी विधिवत पूजा की जाती है यह पूजा इंजीनियर कारीगर वेल्डर लोहार श्रमिकों कारखानों के मालिकों द्वारा किया जाता है ताकि आने वाले भविष्य में उन्हें इस औजार से कोई भी क्षति न पहुंचे और उनके हर काम में अच्छी सफलता मिले साथ ही जितने भी औजार और मशीनें हैं वह सही तरीके से साल भर चलती रहे साथ ही साथ वार वार को आगे बढ़ाने में 20 सहायक है और घर में सब सुख समृद्धि भी लाता है ऐसा नहीं है कि विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती केवल कारीगरों द्वारा ही मनाई जाती है यह हर घर में घर की महिलाओं द्वारा विधिवत पूजा की जाती है और भगवान विश्वकर्मा जी का नाम लिया जाता है साथ ही भगवान विश्वकर्मा जी का मंत्र भी जपा जाता है उम्मीद की जाती है कि आने वाले समय में सब कुछ अच्छा होगा विश्वकर्मा भगवान का जन्म कैसे हुआ परम ब्रह्मा जी के पुत्र का नाम वास्तु देवता पुराणों में ऐसा लिखा है कि वासुदेव वासुदेव धर्म की वास्तु नामक स्त्री से जन में पुत्र थे इनकी पत्नी का नाम अंग्रेजी था अंग्रेजी था इनकी पत्नी का नाम अंग्रेजी था इन्हीं से वासुदेव का पुत्र हुआ ब्रह्मा जी के पुत्र का नाम वासुदेव था अंगरक्षक इन्हीं से वासुदेव का पुत्र हुआ जिसका नाम ऋषि विश्वकर्मा रखा गया